बरस कर जो ठहर जाती हो !!!
बरस कर जो ठहर जाती हो,
जैसे पलकों पर ज़री मोती हो,
रात अकेले कटती नहीं सफर की,
जीवन तुझ बिन जैसे छोटी हो,
करवटें बदलता रहता हूं मै रात भर,
क्या तुम आज भी पहले की तरह ही सोती हो,
निकलता नहीं सूरज अब तुझबिन,
अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है,
छाया है हर तरफ़ काल धुआं सा,
जैसे चांद बिना चांदनी नही होती हो,
ठहर जाएगा ये पल भी एक दिन,
तुम क्यों इतना व्याकुल होती हो,
छोड़ो फ़िज़ूल की बातें तुम भी,
ज़रा बताओ अपना हाल तुम भी,
तकिए से लिपटकर क्या तुम भी,
मेरी तरह ही रोती हो?