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18 Jul 2020 · 1 min read

बरसो सावन

रिम झिम रिम झिम
बरसो सावन
ऋतु लगे सुहानी
मन भावन
बूंदों के स्वर पर
गीत फुहारों का
गर्जन का घन हो
ताल बहारों का
काले मेघा उमड़ें
घुमड़ें नभ में
साम्राज्य छीन कर
चाँद सितारों का
हरषे हर प्राणी
का तन मन
रिम झिम रिम झिम
बरसो सावन
धरती ओढ़े हरियाली
की चादर
जल से भर जाएं ताल
खेत पोखर
नदियाँ चिर यौवन
फिर से पा जाएं
यूँ लगे धरा की सैर
करे सागर
प्रमुदित हो जाए
नील गगन
रिम झिम रिम झिम
बरसो सावन
✍️ सतीश शर्मा

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 380 Views
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