बरसे बादल (ग़ज़ल)
घिर आये हैं काले बादल
तुझको क्या देंगे ये बादल
कोख ज़मीं की हरी हुई है
जब-जब भी हैं बरसे बादल
बारिश होगी ख़ूब यहाँ पर
उमड-घुमड़ कर आये बादल
पानी देकर प्यास बुझाते
मन को भी तरसाते बादल
आँखों में सावन ठहरा है
अब बरसे, अब बरसे बादल
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा