“बरसाती बारात”….
मुश्किल यहां, टिकने की बात है।
यहां तो , कवियों की बारात है।
अरे , नाच रहे है सब यहां , ऐसे ;
जैसे, बैसाख में हुई बरसात है।
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार
मुश्किल यहां, टिकने की बात है।
यहां तो , कवियों की बारात है।
अरे , नाच रहे है सब यहां , ऐसे ;
जैसे, बैसाख में हुई बरसात है।
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार