बरसात
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एक मधुर अहसास तुम्ही प्रिय,
इस जीवन की आस हो ।
हर पल नजरों में तुम रहती,
अंतस दिल के पास हो ।
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पावन प्रकृति की मनोरम से,
कैसी अब बरसात हो।
फूलों की खुशबू महके जब,
प्रेम मधुर शुरुवात हो।
कीट पतंगा तुझे बुलाता ,
चलो अभी घर वास हो।
एक मधुर अहसास तुम्ही प्रिय,
इस जीवन की आस हो।
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सूना लगता घर आँगन अब ,
कब तुमसे फिर बात हो।
हर्षित होता रोम-रोम जब,
कटते ना दिन रात हो ।
देख-देख जब नैन थके तब,
मधुर मिलन की रास हो।
एक मधुर अहसास तुम्ही प्रिय,
इस जीवन की आस हो।
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स्वरचित©®
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)