बरसात
बरसात का यह माह सुगन्धित,
ऋतुओं में है सबसे अद्भुत
घनघोर घटाओं से सुसज्जित बादल,
धरा ने है पहने मोती के पायल
बारिस की पहली बूँद गिरी तो
हो गया तन-मन मेरा हर्षित।
मधुर फलों को रसास्वादन और
मनमोहक पकवानों का आस्वादन
पाकर बारिस का मीठा पानी,
जीव, जन्तु और जड़ हैं; पनपे
महकी हवाएं व बहकी फ़िजाएँ,
पाकर हुए खग-मृग गन्धर्वित।
खेतों में छाई हरियाली,
रंग-बिरंगी चमक रही है डाली
झमाझम बारिस हुई, गजब
झील-सरोवर हैं, भरे लबालब
मनोहर घटाओं में है निखरे,
देख इंद्रधनुष को हुए आकर्षित।
–सुनील कुमार