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20 May 2021 · 1 min read

बरसात

गर्मी ऋतु के बाद मे, आती है बरसात
धरती उगती घास औ, तरु में आते पात
तरु में आते पात, दामिनी चहुँ दिश चमके
गिरती जल की बूँद, गगन में बादल दमके
कह पाठक कविराय, पवन शीतल सुखदाई
भर जाते जल श्रोत, गर्मी बाद मे आई
2
वर्षा मन भावन लगे, नाचे मन ज्यों मोर
छतरी बन कर कवच तब, दिखती है चहुँ ओर
दिखती है चहुँ ओर, बूँद जल टप टप गिरती
मतवाले तरु नाच, बदलिया काली घिरती
कह पाठक कविराय, बसुंधरा का हिय हर्षा
ख़ुश हो गया किसान, लगे मन भावन वर्षा

1 Like · 1 Comment · 362 Views
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