बरसात
न हो कोई
बंद कमरा
हो तो
उसमें हो
कोई खिड़की
खोल लो उसे
उससे अच्छा है
खुले में बाहर निकल आओ
बरामदे में या
गैलरी में
कोई कुर्सी भी साथ
ले आओ
बाहर आकर आराम से
बैठ जाओ
रिमझिम टिप टिप
टपकती बरसात में
अदरक की चाय
बेसन के पकोड़े
कोई दोस्त हो तो ठीक
नहीं तो हम अकेले ही अच्छे
लुत्फ लो इस
संगीतमय
छम छम, छन छन करते
मय छलकाते
मौसम का
भीगना चाहो तो
थोड़ा सा भीग भी लो
नहीं तो हाथ आगे बढ़ाकर
अपनी हथेलियों की
अंजुरी में बारिश की बूंदों को
भरकर
उसके कांच से बदन को
अपने होठों से चूम लो
बरसात में
तुम नाच लो
गा लो
मस्ती करो
अपने बचपन की यादों को
तरोताजा करो
इसके पानी में
कागज की किश्ती चलाओ
उसे दूर जाते
बहते
कहीं कहीं अटकते
फिर अपने बाल झटक कर
एक सुंदर लड़की सा
मटक मटक कर
किसी कमसिन बाला की
चाल सा
एक प्यार भरी अदा सा
आगे बढ़ता देखो
तुम न आसमान देखो
न उसका बादल देखो
न पीछे मुड़कर देखो
न आगे का कुछ सोचो
तुम जियो जी भर के
बस इसी चमकीले पल में
शहद सी टपकती
कानों में
घुंघरूओं सी बजती
इन कंचे सी बूंदों का रस चखो
छपाक छपाक करके
कुछ देर
जब तक मन करे
जमीन पर भरे इनके
पानी में चलो
अपना तन धो डालो
मन को भी साफ करो
जैसे बरसात बना देती
वातावरण को
हसीन, रंगीन, सुगन्धित,
साफ स्वच्छ, शुद्ध, मनोहारी,
दिलकश, और न जाने क्या क्या
वैसा ही तुम भी आहिस्ता आहिस्ता
इस जैसा बनने की कोशिश करो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001