बरसात में काले बादल
रूप तुम्हारा अद्भुत प्यारा,
श्याम सलोना सा लागे।।
सरगम छेड़ा है जो तूने,
बसंतदूत की ध्वनि सा लगे।।
करते हो जब नभ में विचरण,
विरह व्यथित प्रेमी सा लागे।।
बरसाते तुम प्रीति धरा पर,
प्रेमात्म-समर्पित सा लागे।।