बरसात बरसी है
पहले भी कई बार ये बरसात बरसी है
जज़्बात भरी पहली ये बरसात बरसी है।
जलता है बदन पानी की ठंडी फुहार से
लगता है अबके आग की बरसात बरसी है।
प्यासी थी मुद्दतों से मेरे दिल की ये ज़मीं
मुद्दत के बाद प्यार की बरसात बरसी है।
खिलने लगे हैं गुंचे दिल में अपने ईश्क के
महका है समां खुशबू की बरसात बरसी है।
रिपुदमन झा “पिनाकी”
धनबाद(झारखंड)
स्वरचित एवं मौलिक