बरसात नहीं सावन-भादो की
बरसात नहीं सावन-भादो की, अश्कों से यह प्रीत है
दर्द-विरह में डूबा प्रीतम, अब जीवन संगीत है
बरसात नहीं सावन-भादो की…….
जबसे नैन लड़ें हैं तुमसे, सुख-चैन गँवाया मैंने
अपना सर्वस्व लुटाके भी, दुख ही दुख पाया मैंने
क्या प्रेमी-प्रीतम को तड़पाना, उल्फ़त की ये रीत है
बरसात नहीं सावन-भादो की…….
तुझसे बिछड़े युग बीता है, ये वक़्त कहाँ ले आया
कोई मजनू से पूछे, उल्फ़त में मिटके क्या पाया
कौन यहाँ बाज़ी हारा, और बता ये किसकी जीत है
बरसात नहीं सावन-भादो की…….
सच मानो तो इक पल भी तेरा इश्क़ न भाया मुझको
अफ़्सोस मगर ये सच भी कहना न कभी आया मुझको
सब ही धोकेबाज़ बड़े, कौन यहाँ किसका मनमीत है
बरसात नहीं सावन-भादो की…….
हाय! लड़े क्यों नैना तोसे, कोई सुख न मिला मोहे
रब चाहे तो नींद उड़े, चैन न आये पलभर तोहे
सुर बिगड़े, सुख उजड़े, अब तो ग़म में डूबा हर गीत है
बरसात नहीं सावन-भादो की…….