बरसात (दोहे)
बरसात (बरसाती दोहे)
श्याम मेघ अब छा गए,
पड़ने लगी फुहार।
सौंधी खुशबू को लिए,
बरसात में बयार।।
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इंद्रधनुष के रंग से,
किरणें कर श्रृंगार।
नृत्य करे बरसात में,
चलती मंद बयार।।
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काले बादल छा रहे,
देते ये पैग़ाम।
बरसात अभी आ रही,
स्वागत है श्रीमान।।
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काले बादल छा गये,
पवन करे है शोर।
सावन घन बरसात में,
बरसे है घनघोर।।
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बरसात आती देखके,
चिंतित हुए ग़रीब।
खाने को दाना नहीं,
फूटा घर व नसीब।।
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दोहाकार- राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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