Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2021 · 1 min read

लाजवाब लगते हो।

आँखों में किसी का ख़्वाब रखते हो,
चेहरे पे सादगी का रूमाल रखते हो।
चलो जब तो क्या कमाल लगते हो,
बैठो जहां भी बेमिसाल लगते हो।
सारे फूल तुम्हारे सामने हैं फीके,
तुम खूबसूरती का गुलाब लगते हो।

बोलो जब मिठास झड़े जैसे,
तुम शहद का मिज़ाज रखते हो।
तुम व्याकरण हो मेरे शब्दों की,
मेरे सभी प्रश्नों के जवाब लगते हो।
ज्यादा कुछ नहीं बस इतना ही कहूंगा,
तुम मुझे कमाल लगते हो।
तुम चाहे कुछ भी पहनो पर,
साड़ी में तुम लाजवाब लगते हो।।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

47 Likes · 4 Comments · 323 Views

You may also like these posts

जब कभी तुमसे इश्क़-ए-इज़हार की बात आएगी,
जब कभी तुमसे इश्क़-ए-इज़हार की बात आएगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
झूठ बोलती एक बदरिया
झूठ बोलती एक बदरिया
Rita Singh
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
Neelam Sharma
मुस्कान
मुस्कान
पूर्वार्थ
ग़ज़ल : उसने देखा मुझको तो कुण्डी लगानी छोड़ दी
ग़ज़ल : उसने देखा मुझको तो कुण्डी लगानी छोड़ दी
Nakul Kumar
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Dr.Priya Soni Khare
जिसको ढूँढा किए तसव्वुर में
जिसको ढूँढा किए तसव्वुर में
Shweta Soni
2948.*पूर्णिका*
2948.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हे कहाँ मुश्किलें खुद की
हे कहाँ मुश्किलें खुद की
Swami Ganganiya
अंतिम
अंतिम
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"मीरा के प्रेम में विरह वेदना ऐसी थी"
Ekta chitrangini
"मिलें बरसों बाद"
Pushpraj Anant
दोहे रमेश शर्मा के
दोहे रमेश शर्मा के
RAMESH SHARMA
*रामपुर रियासत को कायम रखने का अंतिम प्रयास और रामभरोसे लाल सर्राफ का ऐतिहासिक विरोध*
*रामपुर रियासत को कायम रखने का अंतिम प्रयास और रामभरोसे लाल सर्राफ का ऐतिहासिक विरोध*
Ravi Prakash
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
हरीश पटेल ' हर'
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
नूरफातिमा खातून नूरी
ललकार की पुकार
ललकार की पुकार
ललकार भारद्वाज
मैं मज़दूर हूँ
मैं मज़दूर हूँ
कुमार अविनाश 'केसर'
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
काव्य
काव्य
साहित्य गौरव
"अभिप्रेरणा"
Dr. Kishan tandon kranti
एकरसता मन को सिकोड़ती है
एकरसता मन को सिकोड़ती है
Chitra Bisht
***वारिस हुई***
***वारिस हुई***
Dinesh Kumar Gangwar
शहर का लड़का
शहर का लड़का
Shashi Mahajan
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
सत्य चला ....
सत्य चला ....
संजीवनी गुप्ता
बाढ़
बाढ़
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
జయ శ్రీ రామ...
జయ శ్రీ రామ...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...