लाजवाब लगते हो।
आँखों में किसी का ख़्वाब रखते हो,
चेहरे पे सादगी का रूमाल रखते हो।
चलो जब तो क्या कमाल लगते हो,
बैठो जहां भी बेमिसाल लगते हो।
सारे फूल तुम्हारे सामने हैं फीके,
तुम खूबसूरती का गुलाब लगते हो।
बोलो जब मिठास झड़े जैसे,
तुम शहद का मिज़ाज रखते हो।
तुम व्याकरण हो मेरे शब्दों की,
मेरे सभी प्रश्नों के जवाब लगते हो।
ज्यादा कुछ नहीं बस इतना ही कहूंगा,
तुम मुझे कमाल लगते हो।
तुम चाहे कुछ भी पहनो पर,
साड़ी में तुम लाजवाब लगते हो।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि