बरसात के ये दिन
बरसात के ये दिन
बरसात के ये दिन
जो जीवन में आए
समरसता छाए
मन को बहुत ही भाए ।
काली घटा छाए चहुं ओर
नाचे है हर मन का मोर
चातक नीर पिये हो आतुर
टर्र टर्र बोले है दादुर ।
छम छम करती बूंदे नाचे
छलके हें सब नदिया नाले
कागज की कश्ती तैराने
आए बचपन के दीवाने।