बरसात की बूंदें
शीर्षक:- बरसात की बूंदें
हमसे पूँछ रही है बरसात की बूंदें पता तुम्हारा…..
रहते हो मुझमें तुम और पता बता दिया दिल है हमारा…..
सावन की पहली बरसात जो तुम से मिलने आएं…….
बूंदों में मुझे तुम देख लेना…….
पीकर तुम उन बूंदों को मन अपना भर लेना…..
फिर भी अगर तन्हाई न जाएं……..
ख्वाबों में मुझे तुम बुला लेना……
अपनी नींदों में मुझे तुम सुला देना…….
हमसे पूँछ रही है बरसात की बूंदें पता तुम्हारा…..
रहते हो मुझमें तुम और पता बता दिया दिल है हमारा…..
देखों बारिश तुम से मिलने आई है…..
हवाओं में भी मदहोशी छाईं है…..
एक अलग खूशबू फूलों में समाई है…..
धरा की खूबसूरती मन को भाई है…..
नदियों ने भी अपने किनारों से छलांग लगाई है…..
फिर भी मौहब्बत में ये कैसी तन्हाई है…..
हमसे पूँछ रही है बरसात की बूंदें पता तुम्हारा…..
रहते हो मुझमें तुम और पता बता दिया दिल है हमारा…..
मिल जाना तुम भी इन बूंदों में…..
खो जाना इनकी सादगी में…..
भर लेना तुम इन्हें अपने आगोश में…..
कर लेना तुम इन्हें अपने कैद में…..
आओं कभी तुम भी हमारी यादों में…..
चाहत की बरसातों में, चाहत की बरसातों में……
हमसे पूँछ रही है बरसात की बूंदें पता तुम्हारा…..
रहते हो मुझमें तुम और पता बता दिया दिल है हमारा…..
कु. आरती सुधाकर सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना