बरसात की एक रात
बरसात की एक रात में
थे साजन मेरे साथ में
मैं साजन के आगोश में
खो गई साजन की बात में
तभी जोर से कड़की बिजुरिया
काले घने बादलों के बीच में
गूंजे थी मेंढकों की टर्र टर्र
उस काली बरसाती रात में
तभी घनघोर बारिश लगी होने
भीगने लगी मैं साजन की प्रीति में
वो बरसात की रात रहेगी मेरी यादों में
दोनों खो गये सुनहरे सपनों में
सुमित्रा गुप्ता सखी