“बरसात का पानी बचाएं”
जंगल हमने विनाश करें,
बरसात की बूंदें कहाँ से लायें,
प्रकृति का चक्र बाध्य हुआ
अब इंद्र देव से कृपा करायें,
गाँव में घोर उदासी,
फसले प्यासी,सूखी जायें
पशु,पक्षी मर-मर जायें
जब तक बरसात न आयें।।
ठंडी गुजरी,गर्मी गुजरी,
अब आया मौसम बरसात का,
पेड़ पत्तो के हाओ भाव बदले,
और बदले शहर,गाँव बदले
आओ हम भी बदले,
बरसात का पानी हद में ले।।
पंच बुलाओ गाँव के पेड़ लगाये
सड़के मरम्मत करायें,
बहती नदियाँ हो गई विसर्पाकार,
नदी अपहरण करायें,
पेड़ बड़े-बड़े सूख रहें,
वर्षा से उनका मनुहार करायें।
बूंद-बूंद को प्यासा संसार,
पानी बिकने घर-घर आयें,
आने वाली संतति की चिंता,
घर-घर सोखते गड्डे बनायें,
आओं मिलकर बरसात का पानी बचाएं।
@निल (सागर,मध्यप्रदेश)