,बरसात और बाढ़’
गर्मी से त्रस्त मानव बरसात चाहता है। क्या बरसात की तैयारी करते हैं हम लोग उसके बचाव के उपाय भी कहाँ करते हैं। नदी नालों की सफाई पहले ही कर दी जाय ,नालियों सड़कों से कचरा साफ कर दिया जाय । सड़क के गढ्ढों को भर दिया जाय । ताकि दुर्घटना न हो । हर साल बरसात आते ही बाढ़ सब अस्तव्यस्त हो जाता है । हमलोग ही बाढ़ के जिम्मेदार हैं। शहरी करण, खुले स्थान का अभाव शहरों में कच्ची भूमि का अभाव वृक्षों की कमी। घनी बस्तियाँ। आखिर जल को बहने के लिए पर्याप्त स्थान तो चाहिए ही। जल का क्या दोष उसके फैलाव को बाँधेंगे तो उसकी गति में वेग तो बढ़ेगा ही । सारी शक्ति एकत्रित हो जाएगी तो तबाही मचेगी ही।नदियों से सटकर बड़ी – बड़ी बिल्डिंग्स बना दी गई हैं तो पानी गलियों से घरों में ही प्रवेश करेगा। और छति पहुँचाएगा। किसी भी निर्माण से पहले जल के बहाव का प्रबंध तो करना ही चाहिए।
-गोदाम्बरी नेगी