बरसात की पहली रात
सर्द गर्म सी ए- रात हो गयी
जो कुछ बूंदों की बरसात हो गई,
हम ना सोये
सोई-सोई रात हो गई,
बदली का अपना राग
नीर नग्न हो गई,
बूंदे आहिस्ता-आहिस्ता एक-एक कर
मखमली गगन में सो गयी,
सर्द गर्म सी ए- रात हो गयी
जो कुछ बूंदों की बरसात हो गई,
तन्हा हवा सोच रही
ये बैरन रात हो गई,
मैं कैसे घर जाऊं
दलदली गलियां ऐ हो गयी,
घूम रही हूँ अंधेरी गलियों में
सांसें देना अपनों को मजबूरी हो गई,
सर्द गर्म सी ए- रात हो गयी
जो कुछ बूंदों की बरसात हो गई,
थल सोया जल सोया
अग्नि भी खफा-खफा सी हो गई,
भंवरों की गुंजन पुष्प की सुगंध
दरवाजों में बंद हो गई,
किलकारी झरनों की
अब मंद-मंद हो गई,
सर्द गर्म सी ए- रात हो गयी
जो कुछ बूंदों की बरसात हो गई,
मिट्टी में महक,
फूलों में चहक लौटी,
बदली रागिनी हो गई,
चांदनी फिर से सन्नाटों में
चुपचाप अपने घर में सो गई,
सर्द गर्म सी ए- रात हो गयी
जो कुछ बूंदों की बरसात हो गई !