Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jun 2022 · 1 min read

बरसात आई है

चलो बनाते हैं कागज़ की कश्तियाँ बरसात आई है
चलो बहाते हैं कागज़ की कश्तियाँ बरसात आई है
वो बचपन के दिन और अठखेलियाँ किसे याद नहीं
चलो फिर से उड़ाते हैं वो मस्तियाँ बरसात आई है

Language: Hindi
2 Likes · 650 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VINOD CHAUHAN
View all
You may also like:
हिन्दी हाइकु
हिन्दी हाइकु
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
औरों की उम्मीदों में
औरों की उम्मीदों में
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
किस के लिए संवर रही हो तुम
किस के लिए संवर रही हो तुम
Ram Krishan Rastogi
"पते की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
*लगा है रोग घोटालों का (हिंदी गजल/गीतिका)*
*लगा है रोग घोटालों का (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
मोहे हिंदी भाये
मोहे हिंदी भाये
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-248💐
💐प्रेम कौतुक-248💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेहनत की कमाई
मेहनत की कमाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
गांव में छुट्टियां
गांव में छुट्टियां
Manu Vashistha
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
दरक जाती हैं दीवारें  यकीं ग़र हो न रिश्तों में
दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में
Mahendra Narayan
गल्प इन किश एण्ड मिश
गल्प इन किश एण्ड मिश
प्रेमदास वसु सुरेखा
नहीं मैं ऐसा नहीं होता
नहीं मैं ऐसा नहीं होता
gurudeenverma198
जिंदगी की बेसबब रफ्तार में।
जिंदगी की बेसबब रफ्तार में।
सत्य कुमार प्रेमी
पहले एक बात कही जाती थी
पहले एक बात कही जाती थी
DrLakshman Jha Parimal
मुहब्बत
मुहब्बत
बादल & बारिश
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मुस्कानों की परिभाषाएँ
मुस्कानों की परिभाषाएँ
Shyam Tiwari
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
पूर्वार्थ
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
Arvind trivedi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Neelam Sharma
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
Dr Archana Gupta
3161.*पूर्णिका*
3161.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सैनिक
सैनिक
Mamta Rani
* भोर समय की *
* भोर समय की *
surenderpal vaidya
Loading...