*बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज (कुंडलिया)*
बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज (कुंडलिया)
➖➖➖➖➖➖➖➖
बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज
जीर्ण-शीर्ण छत देखकर, टपका पानी आज
टपका पानी आज, कहॉं पर सोऍं- जागें
पानी की है मार, छोड़ घर कैसे भागें
कहते रवि कविराय, कभी दिन में-रातों में
रोना ऋतु के साथ, हमेशा बरसातों में
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451