बरसाती पूजा
स्त्रियों की सुहानी दिन होती हैं
पति के प्रति अपना,
तन-मन समर्पित करती हैं
स्त्रियाँ सौंदर्य सलाखों पर रख,
श्रृंगार से लतपत होती हैं
सदा सुहागन रहने की ,
मनोकामना मन में रखती हैं
पूजा करने की खातिर,
कोशों दूर जाती हैं
बरगद पेड़ को,
जल अर्पित करती हैं
धागें ले, बरगद पेड़ के
पाँच परिक्रमा कर बांधती हैं
जन्मों-जन्म तक साथ रहने का,
वचन ले आती हैं
नारी ही तो हैं जो,
बरसाती पूजा कर पाती हैं.।
स्वरचित
‘शेखर सागर’
स्त्रियों के प्रति मेरा पहला लेख हैं
मैं ज्यादा जानता नहीं हुँ
इसलिए जो भी गलतियां हो क्षमा करें.??.