बरसती बूंदों
मेरी बिखरी हुई जुल्फों से बरसती बूंदों को देख पागल हुआ था तू
मुझे क्या पता था दस्तूर ए दोस्ती ऐसी निभाएगा तू
के दिन रात मेरी कब्र को
आंसुओं से भिगोएगा तू
मेरी बिखरी हुई जुल्फों से बरसती बूंदों को देख पागल हुआ था तू
मुझे क्या पता था दस्तूर ए दोस्ती ऐसी निभाएगा तू
के दिन रात मेरी कब्र को
आंसुओं से भिगोएगा तू