“बरखा रानी..!”
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प्यारी बरखा रानी- जरा जम के बरसों!
हमारी धरती-मां को तुम! तृप्त कर दो।
इस प्रकृति में कोई भी प्यासा नहीं रहें!
भू के हर जीव की इच्छाएं पूर्ण कर दो।।
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हे बरखा रानी! भू के हर खेतों में बरसों!
किसानों को उनकी मेहनत का फल दो।
यह अन्न, जल ही जीवन है हर प्राणी का!
बरखा रानी! हर खेतों में पर्याप्त जल दो।।
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बरखा रानी! हम मनु: करते है अनुरोध!
कभी सुखे से ग्रस्त ना हो- धरती हमारी।
हर बरस पर्याप्त जल देना- बरखा रानी!
सदा हरी-भरी बनी रहें- ये धरती हमारी।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल:=====:
:======*उज्जैन{मध्यप्रदेश}*=====:
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