बरखा रानी तू कयामत है …
हम तेरा करते हैं बहुत ,
तुझे प्यार भी करते है बहुत ।
तेरे दीदार के लिए ए जालिम!,
इंतजार करते है पूरे साल बहुत ।
तेरी फुहारों में भीगेंगे ,मस्ती करेंगे ,
जब तू पुरे जोश से बरसेगी बहुत ।
चाय ,पकोड़े और फिर तेरा साथ ,
भीगे मौसम में आता है मजा बहुत ।
मगर पहले तो तू जल्दी आती नही ,
आती है गर एक तूफान मचाती है बहुत ।
आते ही तेरे घरों की बिजली गुल हो जाती है ,
और फिर कई घंटों तड़पाती है यह बहुत ।
सड़कों और नालियों का फर्क मिट जाता है ,
जब तू घटाटोप बरसती है लगातार बहुत ।
पूरा का पूरा शहर डूब जाता है पानी में ,
बाढ़ जैसे हालात बन जाते है बहुत ।
कहीं बिजली गिरती,कहीं बादल फटते,
ओले पड़ने से फसलें बर्बाद होती बहुत ।
कहीं लोग तेरे संग आनंद मना रहे होते ,
तो कहीं कई जीवन तबाह हो जाते बहुत ।
तुम्हारा क्रोध देखकर तो यूं लगता है ,
जैसे तुम कोई खुन्नस निकाल रही हो बहुत ।
लो! ले लो मजा मेरे मौसम का अच्छी तरह से ,
इंतजार कर रहे थे ना तुम मेरा बहुत ।
अरे बरखा रानी !हम तेरे मोहक रूप पर मरते है ,
अपना कयामत का रूप ना दिखा तू बहुत ।
हमारी तुझसे प्रार्थना है बरखा रानी !
तू मन चाहे सरकार के कुव्यवस्था की पोल खोल ले,
मगर गरीबों / बेसहारों पर तो रहम कर बहुत ।