बरखा पुरवइया
मेघा गरजी, चली पुरवइया,
आई बरखा देख रवैया,
चमक चमक कर बिजली चमके,
घण घण मेघा शोर मचाएं,
एक दूजे से होड़ लगाएं,
देखो देखो बरखा आई,
ले फूल थाली दीप जलाएं,
चल हरियाली करने स्वागत,
बरखा का तेरे आंगन में,
पवना काहे दूर रहें,
टपक पड़ा मैदान में वह भी,
आंख मिचौली, भागम भाग,
खेल रहे संग बरखा के,
तोड़े घर चिड़या – चिड़ोठे के,
झूला झूले पेड़ों के संग,
रिमझिम रिमझिम बारिश बरसें,
हाय ,यह कितना शोर मचाएं।
धक धक धड़के धड़कन कृषक के,
झूम झूम के नाचें गाएं,
ले बरदिया, बीजों के संग,
चल पड़े बगिया में,
ठुमक ठुमक के मोर नाचें,
गाएं कोयल – पापिहा मल्हार रे,
कोई हंसे कोई रोएं,
पर सब कहे स्वागतम बरखा पुरवइया की।
* परवइया — पुरवा हवा
रवैया — सुर्य (यहां पे)
चिड़या – चिरोठे — पक्षी
बरदिया — बैल
पवना — हवा