बरखा का मौसम
बरखा का मौसम जब-जब आया,
मीत कोई बिछड़ा फिर याद आया।
सपने दिल कई संजोने लगा,
मन भी कही गुनगुनाने लगा।
कभी साथ थे हम उनके सदा,
निभा न सके हम अपनी वफ़ा।
उन्हें बेवफा हम कह न सके,
अकेले अभी तक वो चलते रहे।
रुख जिंदगी में अब ये क्या आया
बरखा का मौसम जब -जब आया……..
जिंदगी में हम आगे निकल गए,
थे हाथ में हाथ अब वो भी फिसल गए।
सोचा था अब बदलेंगे वो,
हमें अब भी अपना कहलेंगे वो।
उनका ये जब -जब ख्याल आया
बरखा का मौसम जब-जब आया……..