Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

बरकत का चूल्हा

हर घर में रोज जले बरकत का चूल्हा
प्रेम ,अपनत्व का सांझा चूल्हा **

मां तुम जमा लो चूल्हा
मैं तुम्हें ला दूंगा लकड़ी
अग्नि के तेज से तपा लो चूल्हा,
भूख लगी है ,बड़े जोर की
तुम मुझे बना कर देना
नरम और गरम रोटी।
मां की ममता के ताप से
मन को जो मिलेगी संतुष्टि
उससे बड़ी ना होगी कोई
खुशी कहीं ।
चूल्हे की ताप में जब पकता
भोजन महक जाता सारा घर
* हर घर में रोज जले बरकत
का चूल्हा ,प्रेम प्यार का सांझा चूल्हा *

अग्नि जीवन आधार

जीवन का आधार अग्नि
भोजन का सार अग्नि
जीवन में , शुभ –लाभ
पवान ,पवित्र,पूजनीय अग्नि
ज्योति अग्नि,हवन अग्नि
नकारात्मकता को मिटाती
दिव्य सकारात्मक अग्नि

सूर्य का तेज भी अग्नि
जिसके तेज से धरती पर
मनुष्य सभ्यता पनपती
अग्नि विहीन ना धरती
का अस्तित्व ।

अग्नि के रूप अनेक
प्रत्येक प्राणी में जीवन
बनकर रहती अग्नि।

प्रकाश का स्वरूप अग्नि
ज्ञान की अग्नि,विवेक की अग्नि
तन को जीवन देती जठराग्नि
अग्नि का संतुलन भी आव्यशक
ज्वलंत ,जीवन , अग्नि स्वयं प्रभा

Language: Hindi
143 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ritu Asooja
View all
You may also like:
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
IPL के दौरान हार्दिक पांड्या को बुरा भला कहने वाले आज HERO ब
IPL के दौरान हार्दिक पांड्या को बुरा भला कहने वाले आज HERO ब
पूर्वार्थ
जिस दिन कविता से लोगों के,
जिस दिन कविता से लोगों के,
जगदीश शर्मा सहज
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
Neelofar Khan
कमजोर क्यों पड़ जाते हो,
कमजोर क्यों पड़ जाते हो,
Ajit Kumar "Karn"
*आत्महत्या*
*आत्महत्या*
आकांक्षा राय
12) “पृथ्वी का सम्मान”
12) “पृथ्वी का सम्मान”
Sapna Arora
Shankar Dwivedi (July 21, 1941 – July 27, 1981) was a promin
Shankar Dwivedi (July 21, 1941 – July 27, 1981) was a promin
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
Shashi kala vyas
मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.?
मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.?
पंकज परिंदा
4311💐 *पूर्णिका* 💐
4311💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अपनेपन की आड़ में,
अपनेपन की आड़ में,
sushil sarna
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
..
..
*प्रणय*
छोड़ तो आये गांव इक दम सब-संदीप ठाकुर
छोड़ तो आये गांव इक दम सब-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
संवेदना(कलम की दुनिया)
संवेदना(कलम की दुनिया)
Dr. Vaishali Verma
किसी ने बड़े ही तहजीब से मुझे महफिल में बुलाया था।
किसी ने बड़े ही तहजीब से मुझे महफिल में बुलाया था।
Ashwini sharma
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
श्रमिक  दिवस
श्रमिक दिवस
Satish Srijan
छठ परब।
छठ परब।
Acharya Rama Nand Mandal
अपने कदमों को
अपने कदमों को
SHAMA PARVEEN
"समय का भरोसा नहीं है इसलिए जब तक जिंदगी है तब तक उदारता, वि
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
*आता मौसम ठंड का, ज्यों गर्मी के बाद (कुंडलिया)*
*आता मौसम ठंड का, ज्यों गर्मी के बाद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*उठो,उठाओ आगे को बढ़ाओ*
*उठो,उठाओ आगे को बढ़ाओ*
Krishna Manshi
छंद घनाक्षरी...
छंद घनाक्षरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जीवन में कभी किसी को दोष मत दो क्योंकि हमारे जीवन में सभी की
जीवन में कभी किसी को दोष मत दो क्योंकि हमारे जीवन में सभी की
ललकार भारद्वाज
“कारवाँ”
“कारवाँ”
DrLakshman Jha Parimal
"तरबूज"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...