बयां-ऐ-आइना
*आइना जब बयान देता है।
उम्र ढलने पे ध्यान देता है।
आइना सच का ज्ञान देता है।
सोच लो आसमान की बातें
होंसला फिर उड़ान देता है।
फूलने ही लगे भला सांसे ।
ज़ीस्त को रब ढलान देता है।
याद घर की बड़ी सताती हैं
लाल गहरा निशान देता है।
जिसको उंगली पकड़ चलाया था।
वो दिखावे को मान देता है।
नाज़ था आफ़ताब मिला
वो गिराने को ढलान देता है।
ये रुलाती बहुत है तन्हाई।
(आईना जब बयान देता है।)किसी शायर के शेर से ली गई पंक्ति
रानी सोनी”परी