बन जाऊँ अच्छा इंसान
मन से तन से शुचि पावन हो
मांग रहा माँ यह वरदान
बनना नहीं बडा मुझको बस
केवल मुझमे हो कुछ ज्ञान
सही गलत का भेद भी जानू
ऐसी मेधा का संज्ञान ।
अधिक चाह न हो जीवन में
लोगों में हो केवल पहचान ।
केवल कुटी खुशी की होवे
बजता रहे मधुरतम् तान।
लोभ मोह तो दूर रहे
केवल धन संतोष महान।
माँ तुम सदय हृदय धारिणी
मुझको दे दो कुछ वरदान ।
धर्म बना हो जीवन में
बन जाऊँ अच्छा इंसान ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र
9198989831