बन्ना-बन्नी
*** बन्ना-बन्नी (गीत) ***
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बन्नी को है बन्ना मिल गया,
हीर को रांझा मिल गया।
चोरी – चोरी नजरें मिली,
लाखों में हैं खुशियाँ मिली,
जैसे किनारा मिल गया।
हीर को रांझा मिल गया।
चाँद सरीखी दुल्हन सजी,
प्रेम की दिल में घण्टी बजी,
मधुरिम तराना मिल गया।
हीर को रांझा मिल गया।
दूल्हे शीर्ष सेहरा सजा,
ढ़ोल- नगाड़े -बाजा बजा,
मौसम सुहाना मिल गया।
हीर को रांझा मिल गया।
मनसीरत मन बहुत भाये,
मोतीचूर के लड्डू खाये,
यार दीवाना मिल गया।
हीर को रांझा मिल गया।
बन्नी को है बन्ना मिल गया,
हीर को रांझा मिल गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)