बन्धन
मैं तेरी प्यारी सी बहना
प्यार तेरा है मेरा गहना
दूर कभी जब मैं हो जाऊँ
तुमसे मिलने आ ना पाऊँ
मुखड़ा अपना मोड़ न लेना
नाता भैया तोड़ न लेना
सोच समझ कर मुझे बुलाना
बे मतलब ना मुझे रुलाना
संग बिताये मिलकर जो दिन
दूर रहूँ परदेश में गिन गिन
तीज त्यौहार कभी जब आते
मिलने को आतुर कर जाते
माना कोसों दूरी है अब
दोनों की मजबूरी है अब
फिर भी अपना बन्धन प्यारा
सब रिश्तों से लगता न्यारा
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’