बन्धन
उन बन्धनों को तोड़ना मुश्किल नहीं होता
जो झूठे होते हैं,
चाहें वो प्रेम के हों ,
या हृदय के जज़्बात के ।
ये तो मोम के बन्धन होते हैं
जो थोड़ी सी आँच से ही पिघल जाते हैं ।
उन बन्धनों को तोड़ना मुश्किल होता है
जो सच्चे होते हैं ,
चाहें वो हृदय के जज़्बात के हों ,
या प्रेम की सौगात के ।
ये बन्धन तो सागर की गहराई
जैसे होते हैं ,
जिनकी थाह भी नहीं लगा पाते हैं ।।
– आनन्द कुमार