बन्दर मुझे बनादो राम
बन्दर मुझे बना दो राम
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बन्दर मुझे बना दो राम
लम्बी पूँछ लगा दो राम ।
पेड़ों पर मैं चढ़ जाऊँ ,
मीठे मीठे फल खाऊँ।।बन्दर…
श्री राम का सेवक वन जाऊँ
सब काम असम्भव कर पाऊँ।
सागर को मैं पार करूँ
भारत का उद्धार करूँ।।बन्दर.
लंका में मैं घुस जाऊँ,
निसिचर को बल दिखलाऊँ।
सीता जी की खोज करूँ ,
वाटिका के सब शोक हरूँ।।बन्दर……
लंका का विध्वंस करूँ,
पापाचार का अन्त करूँ ।
सतयुग को स्थापित करूँ ,
सत्य की जीत सत्यापित करूँ ।।बन्दर…….
जन-जीवन संकट मुक्त करूँ,
कारज सब उपयुक्त करूँ ।
घोटालों का पर्दाफाश करूँ ,
काम नया कुछ खास करूँ ।।बन्दर….
कालाधन वापस लाऊँ,
फाइदे इसके बतलाऊँ।
शासन को मैं ठीक करूँ ,
जनता की सब पीर हरूँ।।बन्दर…..
कलियुग को मैं दूर करूँ ,
सुख-शान्ति भरपूर करूँ ।
जनता के मैं कष्ट हरूँ,
आतंकवाद को नष्ट करूँ ।।बन्दर……
भ्रष्टाचार उखाड़ फेंकूँ,
बेरोज़गारी पछाड़ फेकूँ।
नवरस का आनन्द भरूँ,
जीवन परमानन्द करूँ ।।बन्दर…….
सुखी -निरोगी जन होवें,
निर्मल सबका मन होवे।
हनुमतवत् सेवा कर पाऊँ,
तो भवसागर से तर जाऊँ।।
बन्दर मुझे बनादो राम ,
लम्बी पूँछ लगा दो राम।।
कवि -डाँ0 तेज स्वरूप
भारद्वाज