बने रहना एक पहेली
बने रहना एक पहेली , जिसे सुलझाने की चाह,
हर एक को तुम्हारी और खिंचती रहे….
गुरूर वाले भी आएंगे,तो मज़बूत इरादों वाले भी
रौनकें लगी रहेंगी , लेकिन तन्हाई न तुम तक आएगी
बशर्ते कि, एक अनसुलझी पहेली ही रहना तुम….
अपने अहसासों को रखना, उस किताब के आखिरी पन्ने पर….
जिसे पढ़ने की ललक और जुनून हर एक को हो
कोई पूरी तरह तुम्हें समझे बिना, निष्कर्ष ग़लत न निकाल लें कहीं….
अपने चरित्र का सम्मान बनाए रखने के लिए,
एक अनसुलझी पहेली ही रहना तुम…
हम उस दुनियां का हिस्सा हैं, जहां कद्र हमारी तभी तक है
जब तक हम किसी को हासिल न हो जाएं पूरी तरह….
हासिल हो जाए जब आसानी से,तो मूल्य हमारा ख़त्म समझो…..
अपने विचार और अपने सम्मान के लिए ….
एक अनसुलझी पहेली ही रहना तुम…..
दीपाली कालरा