बनें सब आत्मनिर्भर तो, नहीं कोई कमी होगी।
बनें सब आत्मनिर्भर तो, नहीं कोई कमी होगी।
न होंगे होंठ ये सूखे, न आँखों में नमी होगी।
भरे जब पेट सब होंगे, न सूझेंगी खुरापातें,
हुलसता आसमां होगा, थिरकती ये जमीं होगी।
©सीमा अग्रवाल
बनें सब आत्मनिर्भर तो, नहीं कोई कमी होगी।
न होंगे होंठ ये सूखे, न आँखों में नमी होगी।
भरे जब पेट सब होंगे, न सूझेंगी खुरापातें,
हुलसता आसमां होगा, थिरकती ये जमीं होगी।
©सीमा अग्रवाल