बना लूँ एक किताब
बना लूँ एक किताब,
जिसमें हो मेरे ख्वाब,
भरी हो सारी खुशियाँ,
और हो सबकुछ लाजवाब।
पन्ने भले सीमित हों,
बातें हो सारी सुदंर,
ऐसा न हो कोई भाषा,
जो करा दे अपने में बवंडर।
जो जान ले मुझको इससे,
कर ले प्रेम एक पल ही,
भर रहें वो हरदम,
भले मुझसे कर ले छल ही।
लिखेगें आज कई शब्द-सुंदर,
मेरे शब्द तो हों टूटे-फूटे,
भले रास न आये किसी को,
पर बंधे प्रेम ये कभी न छूटे।
————— मनहरण