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7 Jan 2021 · 1 min read

बनाओ स्वयं अपनी पहचान…

बनाओ स्वयं अपनी पहचान —

जग में जीना नहीं आसान
आते पग-पग पर इम्तहान

बुद्धि-ज्ञान में एक अकेला
सकल गोचर जग में इंसान

चूमेगी बुलंदी कदम तुम्हारे
करते रहो जो लक्ष्य संधान

तुमसा कौन हितैषी तुम्हारा
मन की सुनो लगाकर कान

इधर-उधर न ताको- झाँको
बनाओ खुद अपनी पहचान

करो हर काम स्वयं अपना
यूँ ही न लो सबका एहसान

लालच कितने तुम्हें लुभाएँ
डिग ना पाए मगर ईमान

बुरा न चाहो कभी किसी का
बाँटो सबको मृदुल मुस्कान

भावी अनुगमन करे तुम्हारा
छोड़ो पथ पर अमिट निशान

हीनता न कोई मन में लाओ
करो नित निजता का उत्थान

औरों से ना आँको खुद को
सबका अपना अलग विधान

मंजिल चूमेगी कदम तुम्हारे
जागो, उठो, चलो बीड़ा तान

तुमसा न कोई दूजा जग में
तुम ही बस अपना उपमान

नकल नहीं असल बनो तुम
गढ़ो खुद ही अपने प्रतिमान

‘सीमा’ का लघ-ु बंधन काट
उड़ो असीम उन्मुक्त उड़ान

– डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 220 Views
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