बनाए कुछ उसूल हैं।
जिंदगी जीने के लिए बनाए कुछ उसूल हैं।
पर उनको लगता है कि हम बड़े मगरुर है।।1।।
यूं गरीब की जुस्तजू ए दिल ना पूंछ उससे।
उसे मिले गम या खुशी होता सब मंजूर है।।2।।
देखो उसका भी सफीना आया उरूज़ पर।
उस गरीब के कूचे में भी आए जो हुजूर है।।3।।
यूं रिश्तों में मुहब्बत कहां से आए जीने में।
जब हर कोई यहां अपनों से हो रहा दूर है।।4।।
कामयाबी चूम लेगी तुम्हारे कदमों को भी।
गर पढ़ते रहो तुम दिल से दुआ ए दरूद है।।5।।
बिन मैखाने गए उनपर चढ़ा कैसा नशा है।
इश्क में दिले आशिकी का रहता सुरूर है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ