बनना है तो दीपक बन
बनना है तो दीपक बन
तज घृना के ताने-बाने,
सुख सागर किनारा बन।
स्याह रात का तारा नहीं,
बनना है तो दीपक बन।
चांद की स्नेहिल किरणों से,
सरोवर कमल खिलाता है।
वास भले ही पंकज पर,
मधुर सौरभ फैलाता है।
ईर्ष्या में मत जलो कभी ,
प्रेम का दीया जलाओ ।
दुख में भटके राही को ,
आशा का दीप दिखाओ।
सूरज भी प्रतिदिन जलकर ,
रोशन धरा को करता है।
शशि तमियारों रातों में ,
तिमिर निशा का हरता है ।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर ( हिमाचल प्रदेश)