Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2023 · 4 min read

बधाइयां शुभकामनाएं

व्यंग्य आलेख
बधाइयां शुभकामनाएं
*********************
हमारी भारतीय संस्कृति में बधाइयां और शुभकामना देने का सिलसिला कब हिस्सा बन गया ये शोध का विषय है क्योंकि मुझे नहीं पता है। शायद आपको हो तो बताइए और यदि नहीं पता तो बिना शर्मिंदा हुए सगर्व अपनी अज्ञानता को मेरी तरह सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कीजिए और मेरे साथ साथ औरों की भी भरपूर बधाइयां पाने का अवसर पैदा कीजिए।
चलिए इस बात को पीछे छोड़िए और ये सोचिए कि आखिर बेधड़क उछलती कूदती बधाइयाओं और शुभकामनाओं की असल उपलब्धि का राज क्या है।
तो आइए हम गीता पर हाथ रखकर झूठ न बोलने की औपचारिकता निभाते हैं और रेवड़ी की तरह फुदक फुदक कर बधाइयाओं और शुभकामनाओं की तह तक पहुंच इसकी सच्चाई को बेनकाब करते हैं।
हमारे ही नहीं दुनिया भर में दिवसों की बाढ़ सी गई है
रोज ही कोई न कोई दिवस मनाया ही जाता है । आज ये दिवस,कल ये, परसों ये दिवस। ये दिवस मनाने की महज औपचारिकता भर होते हैं , दिवसों की सार्थकता महज अपवाद की पूर्ति भले ही करते हों, लेकिन औपचारिक शुभकामनाएं बधाइयां देने वालों के लिए ये अवसर बेहद जरुरी होते हैं। जिन दिवसों के बारे में हमें ज्ञान भी नहीं होता, उसपर भी हम खूब उछल उछल कर बधाइयां देते हैं। सोशल मीडिया तो इस मामले में हमारे लिए मुफ्त का खाद बन गया है। इसके अलावा जन्मदिन, भिन्न भिन्न तरह के सालगिरह, व्यक्तिगत सफलता, उपलब्धियां नववर्ष, स्वतंत्र दिवस, गणतंत्र दिवस, होली दीवाली, नवरात्रि,मकर संक्रांति, ईद, बकरीद, रमजान, क्रिसमस डे , रक्षा बंधन, भैया दूज, छठपर्व,बरही आदि आदि विभिन्न अवसरों ने बधाइयां शुभकामनाओं देने की आदत हमारी दैनिंदनी का हिस्सा जैसी हो गई है।
अब तो इस कड़ी में शादी से पहले सगाई, महिला संगीत, मेंहदी, हल्दी, बच्चे का प्रथम स्कूल, नौकरी का पहला दिन आदि आदि जाने कितने अवसर मिलने लगे हैं बधाइयां शुभकामनाएं देने के।
जबकि सोशल मीडिया पर हम कितने ही लोगों को अच्छे से तो क्या जानो भी नहीं फिर भी औपचारिकता पूरी करने में पीछे नहीं रहते। वास्तविकता तो यह है कि जिन्हें हम अपना कहते मानते हैं उन्हें भी महज औपचारिकता पूरी करने की खातिर बधाइयां शुभकामनाएं देते हैं। जिनसे मिलने की सालों साल जहमत नहीं उठाते,जिसके सुखदुख की परवाह नहीं करते, फोन पर भी हाल चाल नहीं पूछ पाते या पूछना और जानना भी नहीं चाहते, जिनके दरवाजे पर किसी की मृत्यु तक में ज्नहीं पहुंचते, उन्हें सोशल मीडिया पर बधाइयों का ऐसा बड़ा टोकरा पकड़ाते हैं, जैसे हमसे बड़ा हमदर्द उनका दुनिया में नहीं है।
जबकि ब्रह्मांडीय सच तो यह है कि हम अधिसंख्य बधाइयां शुभकामनाएं देते हुए यही सोचते हैं कि तू मेरे या जिए,पास हो या, बीमारी से मर या दुर्घटना से, तू खून रहे न रहे, तेरा परिवार सकुशल रहे या उस पर पहाड़ गिरे मुझसे क्या मतलब था मैं क्यों परेशान होऊं। फिर भी जो दिखता है वही बिकता है वाले फार्मूले पर चलकर महज औपचारिकता निभाते हैं।
और तो और बधाइयां शुभकामनाएं देने/ निभाने की अंधी दौड़ में शामिल हम ये भी भाव रखते हुए भी कि हे प्रभु, अल्लाह, गाडफादर, इसका बेटा नालायक हो, बेटी की शादी न हो, बच्चों को नौकरी न मिले, बीबी लड़ाका मिले, पति नशेड़ी, जुआरी, बेरोजगार हो,ये बीमार परेशान ही रहे, ये कभी सूकून से न रह सके साथ ही बधाइयां ही बधाइयां देकर सामने वाले को बेवकूफ ही बनाते हैं।
सच्चाई यह है कि एक प्रतिशत लोग ही दिल से बधाइयां और शुभकामनाएं देते हैं।आपके सुख से प्रसन्न और आपके दुख से परेशान होते हैं । वरना बाकी तो महज औपचारिकता वाले शुभचिंतक ही हैं, जो सिर्फ दिखावा ही करते हैं।
बधाइयां और शुभकामनाएं की औपचारिकता निभाते हुए हम इतने बेपरवाह हो गये हैं कि बहुत बार तो किसी की मृत्यु पर भी बधाइयां उछालकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।
बातें कुछ ज्यादा हो गईं, मगर ये आपकी कौन सी औपचारिक सभ्यता है कि अभी तक आपने मुझे किसी भी तरह की बधाइयां या शुभकामनाएं नहीं दी। चलिए कम से कम अब तो दे ही दीजिए, दिल से न सही औपचारिकता ही निभा दीजिए। या न ही दीजिए रहने दीजिए, आपका तो उधार रहेगा मान लेंगे पर हम उधार नहीं करेंगे और घोषणा करते हैं कि आप सब मेरी शुभकामना बधाई स्वीकार कीजिए यकीन रखिए ये दिल से बिल्कुल नहीं है। महज औपचारिकता की चाशनी में लिपटी भर है,सहेज कर रखिए, मौके पर मुझे ही थोड़ी मलाई मार कर वापस कर दीजिएगा।
आप खुश रहो नाखुश रहो मेरी बला से,पर बधाई तो ले ही लीजिए। नहीं लेंगे तो भी चलेगा, लोगों की कमी है क्या जो इतना इतरा रहे हो लोग लाइन में खड़े हैं मेरी शुभकामना बधाई देने के लिए, अग्रिम बुकिंग चल रही है, आर्डर ही पूरा नहीं हो रहा है और आप को दे रहा हूं तो नखरे दिखा रहे हो, खूब दिखाओ कौन सा हम दिल से दे रहे हैं हम भी तो महज औपचारिकता निभा रहे हैं,समय के साथ आधुनिक बन रहे हैं। बेतरतीब बिखरी बधाइयां शुभकामनाएं उठा उठा कर बांटरहे हैं,कौन सा अपनी पूंजी खर्च कर रहे हैं। सिर्फ लिस्ट में अपना नाम ही तो लिखा रहे हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 474 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उनको मंजिल कहाँ नसीब
उनको मंजिल कहाँ नसीब
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
शेखर सिंह
मलाल न था
मलाल न था
Dr fauzia Naseem shad
"बदल रही है औरत"
Dr. Kishan tandon kranti
'कांतिपति' की कुंडलियां
'कांतिपति' की कुंडलियां
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
"आज का दुर्योधन "
DrLakshman Jha Parimal
मेरे बस्ती के दीवारों पर
मेरे बस्ती के दीवारों पर
'अशांत' शेखर
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
Manju sagar
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
गुप्तरत्न
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
gurudeenverma198
आई वर्षा
आई वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
" क़ैदी विचाराधीन हूँ "
Chunnu Lal Gupta
माफिया
माफिया
Sanjay ' शून्य'
"आतिशे-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
प्रभात वर्णन
प्रभात वर्णन
Godambari Negi
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
अंकित आजाद गुप्ता
शीर्षक– आपके लिए क्या अच्छा है यह आप तय करो
शीर्षक– आपके लिए क्या अच्छा है यह आप तय करो
Sonam Puneet Dubey
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
चुप रहो
चुप रहो
Sûrëkhâ
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
Neelam Sharma
वचन सात फेरों का
वचन सात फेरों का
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
🙅WAR/प्रहार🙅
🙅WAR/प्रहार🙅
*प्रणय*
व्यवहारिकता का दौर
व्यवहारिकता का दौर
पूर्वार्थ
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Rj Anand Prajapati
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
आर.एस. 'प्रीतम'
गीत ____ मां के लिए
गीत ____ मां के लिए
Neelofar Khan
2908.*पूर्णिका*
2908.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंसान
इंसान
Bodhisatva kastooriya
Loading...