Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2022 · 2 min read

बदौलत

लघुकथा
बदौलत
********
ये दुनिया भी कितनी अजीब है मैं जब सोचता हूं तो मन में विकृतियां जन्म लेने लगती हैं।
ऐसा ही कुछ विचार था मेरे दोस्त राजीव का।
पिछले दिनों मिला तो बड़ा उदास था। मैंने कारण पूछा तो जैसे फट पड़ा क्या बताऊं यार – ये दुनिया बड़ी स्वार्थी है। लोग अपना फायदा जब तक देखते हैं,तब तक ही उसको याद रखते हैं,जिनकी बदौलत उनकी खुद की पहचान बनी है। उसके बाद तो बस बुराइयां ही करते हैं, खुद को बड़ा तीसमार खां समझने लगते हैं।
मैंने उसे समझाया, देख! इसमें अजीब कुछ भी नहीं है, नेकी कर दरिया में डाल वाला सिद्धांत अपना। खुश रहेगा। लेकिन एक बात याद रख, उनमें भी कुछ ऐसे होते हैं, जो प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष उसका गुणगान करते ही रहते हैं, जिनकी बदौलत वे सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं या चढ़ सके हैं।
और एक बात! ऐसे ही लोग उन लोगों को अमर कर देते हैं, जिनकी बदौलत वे आगे बढ़े हैं।
मगर……।
यार! तू भी न। इस अगर मगर को छोड़ जरा दिमाग पर जोर डालकर देख कि क्या तुझे अपने शिष्यों में सभी ऐसे हैं, जो आगे जाकर तुझे नजर अंदाज कर रहे हैं।
नहीं। बहुत से ऐसे हैं जो मुझे भगवान समझते हैं। पूजा करते हैं। राजीव ने गर्व से कहा
फिर क्यों परेशान हैं। मंदिर में भी सभी लोग भगवान की पूजा ही नहीं करने जाते और जो भगवान पर भरोसा करते हैं, भगवान भी उनकी प्रार्थना को जरुर सुनता है।
अरे वाह! तू तो दार्शनिक हो गया। मेरी सारी उलझनों का समाधान हो गया।
अब मैं चलता हूं, मेरे बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे।
राजीव ने मुझसे हाथ मिलाया और अपने प्रशिक्षण केन्द्र की ओर बढ़ गया।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 303 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
"पेट की आग"
Dr. Kishan tandon kranti
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
लवकुश यादव "अज़ल"
*जीवन्त*
*जीवन्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
Phool gufran
2851.*पूर्णिका*
2851.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
50….behr-e-hindi Mutqaarib musaddas mahzuuf
50….behr-e-hindi Mutqaarib musaddas mahzuuf
sushil yadav
*दादाजी (बाल कविता)*
*दादाजी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जब कभी प्यार  की वकालत होगी
जब कभी प्यार की वकालत होगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नाइजीरिया
नाइजीरिया
Shashi Mahajan
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
Dr. Man Mohan Krishna
क्रिकेटी हार
क्रिकेटी हार
Sanjay ' शून्य'
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
Ravikesh Jha
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
Dr Archana Gupta
अपनी भूलों से नहीं,
अपनी भूलों से नहीं,
sushil sarna
हमारे इस छोटे से जीवन में कुछ भी यूँ ही नहीं घटता। कोई भी अक
हमारे इस छोटे से जीवन में कुछ भी यूँ ही नहीं घटता। कोई भी अक
पूर्वार्थ
भय लगता है...
भय लगता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सब्र रखो सच्च है क्या तुम जान जाओगे
सब्र रखो सच्च है क्या तुम जान जाओगे
VINOD CHAUHAN
*बदलाव की लहर*
*बदलाव की लहर*
sudhir kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
होली है ....
होली है ....
Kshma Urmila
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
शेखर सिंह
..
..
*प्रणय*
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
परिस्थितियां ही जीवन का परिमाप हैं.
परिस्थितियां ही जीवन का परिमाप हैं.
Satyakam Gupta
तुम मेरे साथ
तुम मेरे साथ
Dr fauzia Naseem shad
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
कवि रमेशराज
Loading...