बदल रहा समाज है….
बदल रहा समाज है —
बदल रहा समाज है
बदल रहा रिवाज है
कल तलक जो सही था
प्रश्नगत वह आज है
दबी जुबां में ही सही
उठने लगी आवाज है
नारी आज मुक्त हो
भर रही परबाज़ है
बेटी पढ़े, आगे बढ़े
वक्त का आगाज़ है
सफल है हर क्षेत्र में
कर रही हर काज है
बेटियों पर आज हमें
बेटोें-सा ही नाज है
लिंगभेद समाप्त हो
इसमें कैसी लाज है
जिस घर में बेटी नहीं
सूना हर सुख साज है
-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद