– बदल रहा संसार –
– बदल रहा संसार –
सभ्यता बदली संस्कृति बदली,
बदले लोग बदला उनका व्यवहार,
अपनत्व वैरभाव में बदला,
सौहार्द बिखराव में बदला,
पहनावा बदला बदला बोल चाल का भाव,
मन भी अब धन में बदला,
रखते सब धन से ही व्यवहार,
व्यवहारिकता दिखावे में बदली,
निस्वार्थ भावना स्वार्थ में बदली,
लोग बदले देश बदला बदला रहा संसार,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान