बदल नहीं पाए _ शेर
हमने खुद को बदलने की कोशिशें तो बहुत की।
चाहकर भी बदल नहीं पाए।
वह कहते रहे हमसे हमारी हां में हां भरो।
कैसे मानते उनकी हां में हां भर नहीं पाए।।
चाहते थे वे हमसे कि हम सत्य की राह बदल ले,
असत्य को कैसे सहते, गुणगान उनके कर नहीं पाए।।
राजेश व्यास अनुनय