” बदल गए “
” नीतिन तुम ये क्या कर रहे हो ? उलटे-सीधे काम कर रहे हो । कभी बिना मौजे के जूते पहन रहे हो तो कभी आंखों पे चश्मा होने के बावजूद चश्मा ढ़ूढ़ते हो और अब अपना पर्स
भूल रहे हो । ” ……..नमिता उसे पर्स पकड़ाते हुए बोली ।—–.” ऐसा करो अभी टैक्सी से चले जाओ । खुद ड्राईव करके मत जाओ । ” ……
नीतिन हँसते हुए —” डोण्ट वरी । मैं ध्यान से चलाऊँगा । वो बचपन का मेरा सबसे खास दोस्त है विनय । उससे 27 साल बाद मिलूंगा इसलिए खुशी की वजह से पुरानी यादों में खो जाता हूँ । अरे ये तो संयोग है कि मेरे क्लाईंट ने हम दोनों को मिलवाया । ” ………
नीतिन घड़ी देखते हुए —-” ओहो, अब निकलना चाहिए नहीं तो देर हो जाएगी । पार्टी में समय से पहुंचू । “………..
नमिता बालकनी में खड़ी मन ही मन सोच रही थी —-.” कल जब से नीतिन के बचपन के दोस्त का फोन आया है । कितने खुश हो रहे हैं । बस दोस्त ( विनय )और बचपन की बातें ही किये जा रहे हैं । बिल्कुल बच्चे से बन गए हैं ” ……
नीतिन रिशॅार्ट ( जहाँ पार्टी थी ) पहुंच कर गाड़ी पार्क की और अंदर जाते ही दूर से विनय को पहचान गया । जबकि वो काफी लोगों से घिरा हुआ था ।
तेज कदमों से पास पहुँच कर —–.” कहो विनय कैसे हो ? “…….
विनय बिना किसी भाव दिखाते हुए —–.” पांच मिनट नीतिन “……. दूसरी तरफ मुड़कर कई लोगों के साथ फोटो खिंचाने लगा ।
नीतिन मन ही मन—–.” क्या तुम वही विनय हो ? नहीं, बदल गए तुम । “………..
–पूनम झा
कोटा ,राजस्थान