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26 May 2020 · 1 min read

बदल गई ये दुनिया प्रभू

है प्रभू तूने
कैसी ये सृष्टि रचाई।
किसी के दुःख
किसी के ख़ुशी हाँथ आई।

ज्ञान के तेरे सब भवसागर
आज हुए धरासाई।
छोड़कर स्नेह की फुलवारी
करें सब नफ़रत की अगुआई।

दी तो थी तूने भगवन
सबको ही अच्छाई।
पर जीने को लोगों ने
बुराई ही अपनाई।

मानव बना जिनको
भेजा था तूने।
बने वही आज
दानव दुराचाई।

घोंट दिया मानव ने
तेरी दी मानवता का गला।
मन मस्तिष्क में केवल
लालच है समाई।

बचे नही कुछ साफ विचार
घर कर गई दिल मे चतुराई।
मतलबी सब बन बैठे
है चिंता बड़ी दुखदाई।

लड़ लड़कर आपस मे
करवाएं जग हँसाई।
दुश्मन तो दुश्मन यहाँ तो
बन बैठे बैरी भाई।

हुई रोशनी कम यहाँ
ली अँधेरों ने जब अंगड़ाई।
खो गई सब सदभावना
नजर आए बर्बरता की परछाई।

नही रही ये दुनिया वो
जो दुनिया तूने बनाई।
बनकर सब अत्याचारी
देते अपनी अपनी दुहाई।

विवेक कुमार विराज़

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 268 Views
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