बदले हुए रिश्तों की कुछ ऐसी कहानी है
बदले हुए रिश्तों की कुछ ऐसी कहानी है ,
एक आँख तो सूखी है,
दूजी आँख में पानी है|
यूँ बदला नजरिया है अपना बेगाना है,
यही हाल रहा सबका,
समझो खत्म जमाना है |
एक माँ के बच्चे हैं फिर भी वह लङते हैं |
जाने कितने ही घाव माँ के सीने में करते हैं |
नफरत भरकर दिल में होठों को सीकर रहते हैं |
ऐसे जीने को क्या जीना कहते हैं ?
मासूम से चेहरे की रग रग में शैतानी है ,
फिर भी यूँ लगता है , दुनिया जानी पहचानी है|
इसके जर्रे जर्रे से पहचान पुरानी है|
बदले हुए रिश्तों की कुछ ऐसी कहानी है ,
एक आँख तो सूखी है दूजी आँख में पानी है||
-रागिनी गर्ग