बदली – बदली हवा और ये जहाँ बदला
बदली – बदली हवा और ये जहाँ बदला
आदमी का वक़्त बदला तो नामों – निशां बदला
गिनती मुक़म्मल आती तो खयाल मुक़म्मल रहता
अब याद कहाँ है के आदमी कहाँ – कहाँ बदला
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
बदली – बदली हवा और ये जहाँ बदला
आदमी का वक़्त बदला तो नामों – निशां बदला
गिनती मुक़म्मल आती तो खयाल मुक़म्मल रहता
अब याद कहाँ है के आदमी कहाँ – कहाँ बदला
-सिद्धार्थ गोरखपुरी