*बदला बदला *
बदला बदला सा दिखता है मौसम आजकल।
हुआ उतारू धोखा देना ,मौसम—- आजकल।
बरसाती मांसों के बादल ,हुए —-ठंड से पीले ।
लगे वरसने ताराओं के, सपने —होकर– गीले ।
कब खिल जाए धुप छाँव में ,चलना है तो चल।
बदला————————————————-।1।
तिरछेपन की फेंक दृष्टियां , चितवन है लहराई ।
घूम रही है जुगन मण्डली , प्यासी सी अकुलाई।
आया कोई छलिया सयाना, धूमिल करने को आँचल।
बदला————————————————- ।2।
है करना वेकार भरोसा , कब साँसें हो जाएं ठंडी।
पार क्षितिज के उस कोने से , दिखाती झंडा चंडी ।
गिर मत जाना ठोंकर खाके , जल्दी जरा संभल ।
बदला—————————————————।3।
सुख रही धरती की छाती ,प्यासा अकुलाया आकाश।
आज समुंदरी खारापन भी ,कहीं छोड़ गया आवास।
भरें सिसकियाँ आहत होकर , आते— जाते—- पल ।
बदला—————————————————।4।
पहने बैठे शूल मुकुट को , पाकर सेज कुसुम की ।
लेकर कपट कटारी पैनी, बातें –मेल –रसम- की ।।
कडुवे पन की वाणी में मिश्री, घोल– रहा –है दल।
बदला—————————————————।5।
कब कर जाए मोर म्याऊं , कब ले ले मेढक तान ।
कब गिर जाए सिर पर बिजली,समझ सके तो जान।
बेरुत में हो जाए पतझर , बिधि के नियम सफल ।
बदला—————————————————-।6।